Tuesday, November 20, 2018

सीबीआई चीफ का जवाब लीक: नाराज चीफ जस्टिस ने कहा

रिश्वतखोरी विवाद में सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब लीक हो जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि अाप में से कोई भी सुनवाई के लायक है।’’ सीबीआई चीफ ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट पर सोमवार को अपना जवाब दाखिल किया था। यह जवाब सीलबंद लिफाफे में दाखिल होने के बावजूद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में लीक हुए दस्तावेज के आधार पर खबरें आई थीं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने आलोक वर्मा की तरफ से पेश हुए वकील फली एस नरीमन को एक न्यूज पोर्टल की वह खबर बताई जिसमें सीबीआई चीफ के जवाब का जिक्र था।

आप सम्मानीय इसलिए सौंपा जिम्मा

बेंच ने कहा, ‘‘मिस्टर नरीमन यह सिर्फ आपके लिए है और इसलिए नहीं कि आप आलोक वर्मा के वकील हैं। हमने इसे (मीडिया रिपोर्ट) आपको इसलिए सौंपा क्योंकि आप इस संस्थान के सबसे सम्मानीय और वरिष्ठ सदस्यों में से एक हैं। कृपया हमारी मदद कीजिए।’’ इस बेंच में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसफ भी थे। नरीमन ने यह मीडिया रिपोर्ट देखकर कहा कि वे इससे स्तब्ध हैं कि जवाब लीक कैसे हो गया। नरीमन ने बेंच से कहा कि मीडिया को जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए, इसलिए न्यूज पोर्टल और उसके पत्रकारों को तलब किया जाना चाहिए।

विवाद के बाद नागेश्वर राव हैं एजेंसी के अंतरिम प्रमुख
सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों के रिश्वतखोरी विवाद में फंसने के बाद केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का अंतरिम प्रमुख नियुक्त कर दिया था। जांच जारी रहने तक सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और नंबर दो अफसर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया था। छुट‌्टी पर भेजे जाने के खिलाफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी से जांच करने को कहा था।

माेइन कुरैशी के मामले की जांच से शुरू हुआ रिश्वतखोरी विवाद
1984 आईपीएस बैच के गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। इनमें 3 करोड़ एडवांस दिए गए। 2 करोड़ रुपए बाद में देने थे। वहीं, अस्थाना का आरोप है कि सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने ही 2 करोड़ रुपए की घूस ली।

Sunday, November 4, 2018

सऊदी अरब: क्या क्राउन प्रिंस सलमान का यह अंत है

'यह उनका अंत है', 'वो ज़हरीले हैं'. 'वो मेरे हीरो हैं.' 'हम लोग उन्हें प्यार करते हैं.'

सऊदी अरब के विवादित क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को लेकर लोगों की यह बँटी हुई राय है.

मोहम्मद बिन सलमान को लोग पश्चिम में एमबीएस के नाम से जानते हैं. तुर्की स्थित सऊदी के वाणिज्य दूतावास में दो अक्टूबर को सऊदी के ही जाने-माने पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के बाद पश्चिम में एमबीएस की छवि या जो उनका ब्रैंड था, वो बुरी तरह से धूमिल हुआ है.

सऊदी आधिकारिक रूप से इनकार कर रहा है कि इस हत्या में क्राउन प्रिंस का कोई हाथ था. ख़ाशोज्जी की हत्या में कई चीज़ें बाहर आई हैं और क्राउन प्रिंस सलमान के भीतरी सर्कल दीवान अल-मलिकी में इसे लेकर सक्रियता रही.

ख़ाशोज्जी की हत्या में कई तरह के संदेह हैं जो क्राउन प्रिंस एमबीएस की तरफ़ भी जाते हैं.

ख़ाशोज्जी की हत्या में सऊदी अरब का तर्क पूरी दुनिया की समझ से बाहर है. ख़ाशोज्जी के खुलकर आलोचना करने को लेकर खाड़ी के देशों में कहा जाता था कि एमबीएस कुछ करना चाहते हैं.

एक बात यह भी कही जा रही है कि सलमान ने हत्या का आदेश नहीं दिया, लेकिन सऊदी के रॉयल कोर्ट के सलाहकार सऊद अल-क़ाहतानी की इसमें संलिप्तता कई सवाल खड़े करते हैं.

समस्या यह है कि सऊदी के बाहर उसके इन तर्कों पर कोई भरोसा नहीं कर रहा है. शुरू में तो सऊदी इस बात से ही इनकार करता रहा कि ख़ाशोज्जी सऊदी के वाणिज्य दूतावास से ग़ायब हुए हैं.

सऊदी यहां तक कहता था कि ख़ाशोज्जी दूतावास में आने के तत्काल बाद निकल गए थे. इसके बाद सऊदी ने कहा कि ख़ाशोज्जी दूतावास में आने के बाद उलझ गए थे और मामला बढ़ा तो मारे गए.

सऊदी के अभियोजक का अब नया बयान है कि ख़ाशोज्जी की हत्या पूर्वनियोजित थी.

ख़ाशोज्जी की हत्या के बाद से सऊदी के बयान और उसके रुख़ पूरी तरह से संदिग्ध रहे हैं. इससे साफ़ है कि अगर एमबीएस अच्छे वकीलों की मदद ले रहे होते और अच्छे मीडिया सलाहकार होते तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई होती.

एमबीएस इस मामले में पूरी तरह कटघरे में हैं. इस वाक़ये के बाद से पश्चिमी सरकारों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सऊदी को लेकर रुख़ बदला है.

1932 में सऊदी अरब एक देश के रूप में एकीकृत हुआ था. क्या ख़ाशोज्जी मामले में सऊदी के सीनियर राजकुमारों के भीतर एमबीएस को लेकर संदेह बढ़ रहा है?

एमबीएस की छवि बनी है कि वो केवल अमरीका को संतुष्ट करना चाहते हैं. दूसरी तरफ़ अब अमरीका के भीतर से ही आवाज़ आ रही है कि सऊदी को हथियार देने पर अमरीका को फिर से विचार करना चाहिए.

क्या सऊदी के क्राउन प्रिंस की गद्दी सुरक्षित है? यहां तक कि सऊदी शाही परिवार में भी एमबीएस के रवैऐ पर गंभीरता से चर्चा हो रही है. सत्ताधारी अल-सऊद फ़ैमिली में संकट का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि रियाद में मंगलवार को अचानक से राजकुमार अहमद बिन अब्देलअज़ीज़ पहुंचे.

अहमद बिन अब्देलअज़ीज़ 82 साल के किंग सलमान के भाई हैं. वो लंदन से आए थे और सऊद हाउस में उनके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. यहां तक कि एमबीएस ने भी गले लगाया.

प्रिंस अहमद यमन में एमबीएस की तरफ़ से शुरू किए गए युद्ध के ख़िलाफ़ बोल चुके हैं. अहमद यमन में युद्ध के ख़िलाफ़ रहे हैं. प्रिंस अहमद ने इससे पहले कहा था कि वो रियाद लौटने से डरते हैं कि कहीं उन्हें नज़रबंद न कर दिया जाए. अब वो वापस आ गए हैं और सऊदी के नेतृत्व को मदद कर रहे हैं.

एमबीएस को चुनौती देने वाला कोई है?
अब सवाल उठ रहा है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान का भविष्य क्या है? पहली बात तो यह कि उन्हें कोई मज़बूत चुनौती देने वाला नहीं है.

33 साल के क्राउन प्रिंस का उदय और उनका उभार बहुत तेज़ी से हुआ है. पिछले साल जून में क्राउन प्रिंस बनने के बाद से उन्होंने सऊदी की सत्ता को पूरी तरह से अपने हाथों में ले लिया है.