Wednesday, January 16, 2019

'कूल' धोनी ने ऐसा क्या कर दिया कि ये VIDEO हो गया वायरल

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा वनडे सीरीज में महेंद्र सिंह धोनी अपने पुराने रंग में लौट चुके हैं. एडिलेड में उन्होंने एक छोर संभाला और 54 गेंदों में नाबाद 55 रनों की पारी खेलकर भारत को छह विकेट से जीत दिला दी. जिससे टीम इंडिया ने तीन मैचों की सीरीज में 1-1 से बराबरी हासिल कर ली है, लेकिन मैच के दौरान बल्लेबाजी करते हुए 'कूल' धोनी आपा खोते नजर आए.

दरअसल, भारतीय पारी के दौरान खलील अहमद और युजवेंद्र चहल मैदान पर ड्रिंक्स लेकर आए थे. इस बीच खलील ने एक गलती कर दी. वह पिच पर दौड़ गए. इस पर धोनी गुस्से में आ गए और उन्होंने खलील को ऐसा न करने की नसीहत देते हुए 'कुछ ऐसा कहा' कि उनका वीडिया वायरल हो गया.

ऐसा पहली बार नहीं, जब पूर्व कप्तान धोनी मैदान पर अपने साथी खिलाड़ी पर भड़कने से सुर्खियों में आए. इससे पहले फरवरी 2018 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 मैच के दौरान मनीष पांडे को 'डांट' लगाई थी.

तब हुआ यूं था कि मैच के आखिरी ओवर में धोनी स्ट्राइक पर थे, उन्होंने स्कोर बोर्ड की ओर देख रहे मनीष पांडे को डांट लगाई थी. उन्होंने मनीष पांडे से कहा था- ओए, उधर क्या देख रहा, इधर देख ले... धोनी का ये वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह की राजनीतिक तस्वीर फिलहाल बनी हुई है, उसमें कांग्रेस समेत विपक्ष में खड़े सभी क्षेत्रीय दल गठबंधन में चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में गठबंधन की घोषणा भी की जा चुकी है. इन्हीं सरगर्मियों के बीच दिल्ली में यह कयास लगाए गए कि क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने प्रतिद्वंद्वी नई नवेली आम आदमी पार्टी से गठबंधन करेगी? सियासी गलियारे में इसकी सुगबुगाहट सुनने को मिली की कांग्रेस इस पर विचार कर सकती है. लेकिन सवाल है कि क्या कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन करेगी? उस आम आदमी पार्टी से, जो कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चले आंदोलन की गर्भ से पैदा हुई है. भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आंदोलन से न सिर्फ आम आदमी पार्टी पैदा हुई बल्कि विधानसभा चुनावों में उसने कांग्रेस को अर्श से फर्श पर ला खड़ा किया और पार्टी का कोई इकलौता उम्मीदवार विधायक नहीं चुना जा सका.

आम आदमी पार्टी से मिली सियासी चोट को दिल्ली की कमान संभाल चुके अजय माकन संभवतः बखूबी महसूस कर रहे होंगे. इसलिए वह आम आदमी पार्टी से गठबंधन के खिलाफ थे. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपने राज्य में अरविंद केजरीवाल से दोस्ती को हरी झंडी दिखाने से मना कर चुके हैं. शीला दीक्षित भी इसके खिलाफ ही नजर आत रही हैं. ‘आजतक’ से एक बातचीत में वह कहती हैं, ‘कांग्रेस अपने आप में सक्षम है. हमें किसी से गठबंधन करने की कोई आवश्यकता नहीं है. आम आदमी पार्टी का जो रिकॉर्ड रहा है, वो हमें प्रेरित नहीं करता है. हमने कभी भी आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं किया. उसने हमारे खिलाफ चुनाव लड़ा.’

मगर कहा यह भी जाता है कि राजनीति में कुछ भी मुमकिन है क्योंकि यहां कोई स्थायी दुश्मन या स्थायी जैसी कोई चीज नहीं होती है. अगर ये सूरत बने कि दिल्ली में लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना पड़ जाए तो फिर सवाल होगा है कि विधानसभा चुनाव में क्या? क्या दोनों दल एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे? या फिर दोनों की राहें जुदा होंगी?

उम्र के इस पड़ाव पर कितनी कारगर होंगी दीक्षित

शीला दीक्षित ने 1998 में इससे पहले दिल्ली कांग्रेस की कमान संभाली थी. उस समय राजनीतिक हालात ऐसे बन गए थे कि पार्टी को लगातार विभिन्न चुनावों में शिकस्त का सामना करना पड़ रहा था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा, 1993 के विधान सभा और 1997 नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.

शीला दीक्षित की पुरानी प्रोफाइल को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें दिल्ली का नेतृत्व सौंपने का फैसला किया है. वह 15 वर्षों तक लगातार मुख्यमंत्री रहीं. इसी दौरान दिल्ली का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर बदलने का श्रेय उन्हें दिया जाता है. अपने प्रशासनिक अनुभव की बदौलत उन्होंने आलाकमान को अपने पर दोबारा भरोसा दिलाया है. क्योंकि उनके कामकाज को लेकर कोई विवाद देखने को नहीं मिलता है. उन्हें एक बेहतर मैनेजर माना जाता है. अपने पुराने तजुर्बों को लेकर कॉन्फिडेंस से भरी नजर आती हैं. ‘आजतक’ के इस सवाल पर वह कहती भी हैं कि, ‘आलाकमान को लगता है कि मुझे दिल्ली का अनुभव है और यही कारण है कि उन्होंने नई दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के लिए मुझे चुना.’

बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विभिन्न राज्यों में विपक्षी दलों का एकजुट होने का क्रम शुरू हो गया है. कांग्रेस महागठबंधन की पूरजोर तरफदारी कर रही है. वह बिहार में महागठबंधन खड़ा कर चुकी है. हालांकि शीला दीक्षित अपनी सियासी रणनीति का खुलासा नहीं कर रही हैं. दिल्ली में कांग्रेस के पास लोकसभा और विधानसभा में एक भी सीट नहीं है. इस स्थिति में अगले चुनाव की रणनीति पर वह कहती हैं कि, ‘दिल्ली में गठबंधन पर चर्चा चल रही है और जब वक्त आएगा तो पता चल जाएगा.’

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