Friday, October 11, 2019

महाबलीपुरम में ही क्यों मिल रहे मोदी-जिनपिंग

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई के महाबलीपुरम में आज मिलने जा रहे हैं.

तमिलनाडु राज्य में समुद्र किनारे स्थित इस ऐतिहासिक महत्व वाली जगह पर दुनिया के दो बड़े नेता मिलेंगे. शी जिनपिंग 11 अक्टूबर से लेकर 12 अक्टूबर तक भारत की यात्रा हैं.

शी जिनपिंग से पीएम मोदी की मुलाक़ात के लिए महाबलीपुरम को ही क्यों चुना गया? मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है, इस मुलाक़ात के लिए मुंबई को भी चुना जा सकता था फिर महाबलीपुरम ही क्यों?

महाबलीपुरम को इस मुलाक़ात के लिए चुनने के पीछे कोई राजनयिक महत्व है या ऐसा कोई तमिलों को लुभाने के लिए ऐसा किया गया है?

इससे पहले साल 2018 में 27 और 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग वुहान में मिले थे. इस मुलाक़ात ने साल 2017 में डोकलाम को लेकर उपजे कुछ गतिरोधों को कम करने में भूमिका अदा की थी. उसके बाद से यह अगली बैठक होने जा रही है.

पुथिया वल्लारसु चीन के लेखक अज़ी सेंथिलथन कहते हैं "भारत सार्क देशों की तुलना में बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहता है. वह बंगाल की खाड़ी में भी अपना दबदबा दिखाना चाहता है. इसीलिए उसने बंगाल की खाड़ी के पास के क्षेत्र को चुना है. डिफ़ेंस एक्स्पो भी कुछ ऐसा ही संकेत देता है."

लेकिन वरिष्ठ पत्रकार आर.के.राधाकृष्णन की राय कुछ अलग है. वह कहते हैं, "यह राजनीति है. बीजेपी तमिलनाडु के लोगों को आकर्षित करना चाहती है. यह सिर्फ़ उसी का एक हिस्सा है. प्रधानमंत्री तमिल में बोल रहे हैं और जहां भी जाते हैं तमिल की प्रशंसा करते हैं. इसके अलावा तमिलनाडु में होने वाली इस बैठक के लिए कोई राजनयिक कारण नहीं है."

वो आगे कहते हैं, "यदि भारत बंगाल की खाड़ी में प्रभुत्व दिखाना चाहता तो वे विशाखापटनम स्थित नौसेना मुख्यालय को चुन सकते थे. अगर पाकिस्तान के साथ बैठक करने के लिए उत्तरी राज्यों का विरोध होता तो दक्षिण भारत को चुना जा सकता था. ऐसा कोई कारण नहीं है. यह केवल दिखाने के लिए है कि केंद्र सरकार तमिलनाडु को महत्व देती है."

महाबलीपुरम चेन्नई से क़रीब 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह जगह यूनेस्को की सूची में शामिल ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. एक पत्थर को काटकर बनाया गया रथ, पल्लव वंश के वक़्त की गुफ़ाएं और मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं. महाबलीपुरम तमिलनाडु का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है.

महाबलीपुरम में ये दोनों नेता किस जगह पर मिलेंगे और किन किन जगहों पर जाएंगे इसकी अभी तक कोई सूचना नहीं है. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों नेता समुद्र किनारे बने मंदिर देखने जा सकते हैं.

यहां एक ऐसी भी जगह है जहां पत्थर काटकर कई छोटी-छोटी लोक कथाओं को उकेरा गया है. उन्हीं में से एक अर्जुन की तपस्यारत कृति भी है. ऐसी उम्मीद की जा रही है पीएम मोदी और शी जिनपिंग यहां भी जा सकते हैं. इस मुलाक़ात को देखते हुए ही यहां पर रख-रखाव के काम को रोक दिया गया है.

इस इलाक़े में सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है. इस छोटे से 16.5 वर्ग किलोमीटर के शहर में सभी सड़कों की मरम्मत की जा रही है. सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगा दी गई है.

सभी प्रमुख सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. स्थानीय पुलिस होटल, लॉज, और रिसॉर्ट में रहने वाले लोगों का विवरण जमा कर रही है. चार अक्टूबर से मछुआरों को भी मछली पकड़ने से मना कर दिया गया है.

सुरक्षा के मद्देनज़र शहर में क़रीब 500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 20 सितंबर के क़रीब चीनी दूतावास के अधिकारियों ने महाबलीपुरम का दौरा किया था.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीसामी और उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने भी बीते बुधवार को शहर का दौरा किया था और सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लिया था.

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