Monday, April 15, 2019

खालिस्तान समर्थक गुट का दावा- पाक ने मोदी सरकार के कहने पर रेफरेंडम 2020 अभियान बैन किया

चंडीगढ़. खालिस्तान समर्थक गुट सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने मोदी सरकार के कहने पर उनके अभियान पर बैन लगा दिया। एसएफजे खालिस्तान में जनमत संग्रह की मांग को लेकर ‘रेफरेंडम टीम 2020’ अभियान चला रहा है। एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नुन के मुताबिक, सोमवार को गुट के कार्यकर्ता हसन अब्दल स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब में पोस्टर लगा रहे थे। इसी दौरान अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें रोक दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालसा सजना दिवस (खालसा पंत की स्थापना इसी दिन हुई थी)  के 320वें साल पर भारत से हजारों सिख श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंच रहे हैं। खालिस्तान के पक्षकार कई कार्यकर्ता भी अपने अभियान को समर्थन देने के लिए अप्रैल के पहले हफ्ते में अमेरिका और यूरोप से पाकिस्तान पहुंचे हैं। हालांकि, जब कार्यकर्ता पंजा साहिब में पोस्टर लगाने लगे तो उन्हें रोक दिया गया। इसके साथ ही रेफरेंडम 2020 के लिए वॉलंटियर्स (स्वयंसेवकों) का रजिस्ट्रेशन भी रोक दिया गया।

मोदी के आगे झुक गए इमरान और बाजवा
पन्नुन ने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा खुद को सिख समुदाय के मसीहा के तौर पर दर्शाते हैं। हालांकि, दोनों ने मोदी सरकार के दबाव में झुककर हमारा अभियान बैन कर दिया।“ पन्नुन ने कहा कि भारत की तरफ से युद्ध की धमकियों के बीच उन्होंने पाकिस्तान को समर्थन जारी रखा, लेकिन पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सिख समुदाय के आंदोलन को कुचल दिया।

क्या है रेफरेंडम 2020?
अलगाववादी सिख संगठन अलग खालिस्तान की मांग को लेकर ‘रेफरेंडम 2020’ (जनमत संग्रह 2020) का प्रचार कर रहे हैं। यह रेफरेंडम लंदन में 12 अगस्त को होना है। अलगाववादी सिख संगठन, मतदान के रेफरेंडम के नतीजों को संयुक्त राष्ट्र के पास लेकर जाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके जरिए वह एक अलग देश की मांग को मजबूत करना चाहते हैं।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना के मामले में नोटिस जारी करके 22 अप्रैल तक जवाब मांगा है। दरअसल, हाल ही में राफेल मामले में हो रही सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र की दलील खारिज करते हुए कहा था- गोपनीय दस्तावेजों को सबूत माना जा सकता है। इस पर राहुल ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने आज मान लिया कि राफेल मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। उनके इस बयान के खिलाफ भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उसके फैसले में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। फैसला कानूनी सवाल पर आधारित था।

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। अदालत ने उस वक्त डील को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने डील के दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं। इनमें कुछ गोपनीय दस्तावेजों की फोटो कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत विशेषाधिकार वाले गोपनीय दस्तावेजों की प्रतियों को पुनर्विचार याचिका का आधार नहीं बनाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उनकी यह दलील खारिज कर दी थी। 

राहुल ने कहा था- मोदी ने 30 हजार करोड़ की चोरी की
शीर्ष अदालत के फैसले पर राहुल ने अमेठी में कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने आज मान लिया कि राफेल मामले में कोई न कोई भ्रष्टाचार हुआ है। इस पर जांच हुई तो इसमें दो नाम आएंगे- नरेंद्र मोदी जी और अनिल अंबानी जी के। उन्होंने कहा- चौकीदार ने चोरी की है। देश के 30 हजार करोड़ रुपए चोरी करके अनिल अंबानी को दिए हैं।

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